महज सांस लेने से फैल जाता है फ्लू
अबतक यह माना जाता रहा है कि इंफ्लूएंजा या छोटे शब्दों में कहें तो फ्लू लगातार किसी प्रभावित मरीज के संपर्क में संपर्क में आने या उसकी खांसी अथवा छींक से ही दूसरे में फैलता है मगर अब एक नए अध्ययन ने इस धारणा को झुठला दिया है। इस नए अध्ययन के नतीजे ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज’ में प्रकाशित हुए हैं।
अमेरिका में हुआ अध्ययन
अमेरिका में हुए इस अध्ययन का दावा है कि फ्लू से पीड़ित मरीज महज अपनी सांसों के द्वारा ही इस बीमारी से दूसरे को संक्रमित करने की क्षमता रखता है। यानी छींकने या खांसने की बजाय सिर्फ सांस लेने और छोड़ने से ही यह वायरस दूसरे तक पहुंच कर उसे बीमार कर देता है। यह उस आम धारणा से एकदम उलट है कि संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींकों के संपर्क में आने से किसी दूसरे को फ्लू होता है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के प्रोफेसर डोनाल्ड मिल्टन इस अध्ययन के प्रमुख हैं। उनका दावा है कि फ्लू के मामलों में पीड़ित व्यक्ति के खांसी या छींक के बिना महज सांस लेने से ही संक्रामक विषाणु हवा में फैला सकता है। प्रोफेसर डोनाल्ड मिल्टन कहते हैं कि फ्लू से ग्रस्त लोग बीमारी के आरंभ में भले ही खांस ना रहे हों लेकिन संक्रामक एयरोसोल (लंबे समय तक हवा में बने रहने वाली बूंदें) पैदा करते हैं। इसलिए इंफ्लूएंजा से ग्रस्त व्यक्ति को घर में ही रहना चाहिए, कार्यस्थल पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि उससे दूसरों में संक्रमण फैल सकता है।
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